उत्तरी ऑस्ट्रेलिया के समुद्र तट पर एक लाख 30000 वर्ग किलोमीटर में फैले जिस ग्रेट बैरियर रीफ को पैंतीस साल पहले यूनेस्को ने विश्व धरोहर का दर्जा दिया था, वह अब खत्म होने की कगार पर है.क्लाइमेट चेज के कारण अल नीनो इफेक्ट्स से रीफ के आसपास का पानी बहुत अधिक गर्म हो चुका है, जिससे चट्टानों का रंग उड़ रहा है और मूंगों का जीवन समाप्त हो रहा है.
समुद्र का पानी गर्म होने, पाॅल्यूशन और एल्गी के ज्यादा बढ़ने से मूंगा अपना रंग खो देता है और सफेद हो जाता है. मूंगे के अंदर रहने वाले जीव बाहर आ जाते हैं, जिससे कुछ ही सप्ताह के अंदर चट्टानोें के भीतर पनपने वाला जीवन खत्म हो सकता है. वैज्ञानिकों का मानना है कि इससे वर्ल्ड कें 15 पर्सेंट से ज्यादा मूंगों की मौत हो सकती है.
मूंगे की ये चट्टानें नेचुरल बैरियर का काम करते हुए समुद्र तटों को तूफानों और बाढ़ से प्रोटेक्ट करती हैं और सी लाइफ को सपोर्ट करती हैं. अगर ये एक्सटिंक्ट होती हैं तो इनके साथ-साथ कई तरह की वाटर स्पेशीज भी खत्म हो जाएंगी. वायो डाइवर्सिटी वाले इस एरिया में वर्तमान में 625 प्रकार की मछलियां, 133 किस्मों की शार्क, नीले पानी में जेली फिश की कई प्रजातियां, घोंगा और कृमि तो मौजूद हैं ही, साथ ही 30 से ज्यादा किस्मों की व्हेल और डॉल्फिन भी यहां रहती हैं.

